राजस्थान के टोंक जिले में निशुल्क स्मार्टफोन वितरण योजना के तहत बांटे गए मोबाइल खिलौना बन गए हैं। क्योंकि इन मोबाइलों में जिस सिम को लगाकर महिलाओं को दिया गया है, उसके टावर गायब हैं। इसके चलते महिलाएं नाराजगी जताकर कह रही हैं कि ऐसे मोबाइल देने का कोई फायदा नहीं है।

गहलोत सरकार की फ्री मोबाइल योजना की खुली पोल
15 दिनों से मोबाइल में नहीं आ रहे हैं टावर
गहलोत सरकार की ओर से गत दिनों इंदिरा गांधी स्मार्ट फोन योजना की शुरुआत हुई। जिसके तहत राज्य के विभिन्न स्थानों पर कैंप लगाकर महिलाओं को स्मार्टफोन वितरित किया गए। लेकिन टोंक जिले के पीपलू कस्बे में दिए गए मोबाइल में टावर ही नहीं आ रहे हैं। जिसके कारण बीते 15 दिनों से महिलाओं को दिए गए मोबाइल शो पीस बनकर रह गए हैं। इन मोबाइलों में 90% लाभार्थियों को 675 रुपए डीबीटी करते हुए सिम मोबाइल फोन में सिम लगा कर दी गई। इसमें 9 माह का डाटा रिचार्ज करते हुए कॉलिंग फ्री दी गई। लेकिन मोबाइल फोन में लगी हुई VI की सिम के टावर पूरी तरह गायब है।
कस्बे में मोबाइल टावर बंद पड़ा है
बता दे कि निशुल्क मोबाइल वितरण के दौरान महिलाओं को मोबाइल में VI ऑपरेटर की सिम लगाकर दी गई। जिसमें 9 महीने तक फ्री कॉलिंग की सुविधा है। लेकिन कस्बे के वर्धमान वाटिका में लगा हुआ मोबाइल टावर बंद पड़ा है। जानकारी के अनुसार यह टावर 19 साल की लीज धारक की भूमि पर लगाया गया। जिसकी लीज 8 माह पहले समाप्त हो गई थी। इसके अलावा लीज धारक को मोबाइल कंपनी की ओर से किराया का भुगतान नहीं किया जा रहा है। इसके चलते लीज धारक ने टावर के बिजली कनेक्शन और फाइबर लाइन को काट दिया। इससे गांव में VI के मोबाइल टावर बंद है।
ऐसा मोबाइल देने से क्या फायदा
मोबाइल बंद होने से महिलाओं ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि ऐसी योजना का क्या फायदा। जिसका लोगों को लाभ ही नहीं मिले। इसको लेकर पीपलू की मधु वैष्णव ने बताया कि उन्हें पीपलू में लगाए गए शिविर के दौरान निःशुल्क स्मार्टफोन मिला। लेकिन 15 दिनों से VI कंपनी की जो सिम, इस मोबाइल में लगी है। वह बंद है। जिसके कारण उन्हें सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसी तरह प्रेम देवी जांगिड़ ने भी बताया कि मोबाइल मिलने से कोई फायदा नहीं हुआ। उन्हें पहले की तरह ही बहू बेटों पर बात करने के लिए निर्भर रहना पड़ रहा है। रिपोर्ट – मनीष बागड़ी
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